सभी लोग इस वक्ता की बातें सुनकर अब पहलू बदल रहे थे जो बड़ी देर से मानव समस्याओं पर किताबी प्रकार की बात कर रहा था।
उसका कहना था कि हर व्यक्ति के साठ प्रतिशत समस्याओं उसे स्वयं उत्पन्न किए हैं। और शेष उनके प्रतिक्रिया है।
सुनने वालों की इक बड़ी संख्या के चेहरे पर उकताहट के आसार स्पष्ट थे। बुजुर्ग सज्जनों एक दूसरे की ओर देखकर आँखों आँखों में मुस्कुरा रहे थे। मानो कह रहे हैं कि मियां यह राग वर्षों से सुन रहे हैं।