अब वह सड़कों मारा मारा क्यों फिरता है ?
अहमद के पिता शहर के सबसे अमीर आदमी
थे अहमद को अपने पिता की दौलत पर बड़ा गर्व था। सामान्य अनुसार सुबह उठा हाथ मुंह धोकर नाश्ता किया और कार में बैठकर स्कूल पहुंच गया आज उसका
मूड अच्छा नहीं था। उर्दू का पीरियड शुरू हो गया आज उसका शीर्षक था
"मैं बड़ा होकर क्या बनूंगा"
सर असद ने शुरू किया कि आप बड़े होकर क्या बनोगे?
किसी ने कहा, मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा।
किसी ने कहा सेना में जाऊं, मैं शिक्षक बनूंगा ।
जब अहमद की बारी आई तो उसने कहा मुझे कुछ बनने या नोक्री की जरूरत नहीं क्योंकि हमारे पास धन ही इतनी है कि घर बैठकर खा सकें।
सर असद ने उसे समझाया कि मेहनत करो और अपना नाम रोशन करो, धन आनी जानी चीज है अपने पापा की दौलत पर नाज़ न करो हालात बदलते देर नहीं लगती।
अहमद पर इन बातों का कोई असर न हुआ।
अगली कक्षा इंग्लिश था संयोग से इंग्लिश वर्ग में भी यही शीर्षक था। मिस आयशा ने भी सबसे बारी यही सवाल किया। सभी बच्चों ने वही जवाब दिया। अहमद का जवाब सुनकर मिस को बड़ा आश्चर्य हुआ। मिस ने अहमद को समझाया लेकिन अहमद का मूड खराब था इसलिए उसने मिस बदतमीजी की वह अहमद को हेडमास्टर के पास ले गई। लेकिन अहमद ने प्रधानाध्यापक से भी बदतमीजी की और स्कूल से चला गया घर जाते ही कंप्यूटर पर गेम खेलने लगा।
अहमद के पिता शहर के सबसे अमीर आदमी
थे अहमद को अपने पिता की दौलत पर बड़ा गर्व था। सामान्य अनुसार सुबह उठा हाथ मुंह धोकर नाश्ता किया और कार में बैठकर स्कूल पहुंच गया आज उसका
मूड अच्छा नहीं था। उर्दू का पीरियड शुरू हो गया आज उसका शीर्षक था
"मैं बड़ा होकर क्या बनूंगा"
सर असद ने शुरू किया कि आप बड़े होकर क्या बनोगे?
किसी ने कहा, मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा।
किसी ने कहा सेना में जाऊं, मैं शिक्षक बनूंगा ।
जब अहमद की बारी आई तो उसने कहा मुझे कुछ बनने या नोक्री की जरूरत नहीं क्योंकि हमारे पास धन ही इतनी है कि घर बैठकर खा सकें।
सर असद ने उसे समझाया कि मेहनत करो और अपना नाम रोशन करो, धन आनी जानी चीज है अपने पापा की दौलत पर नाज़ न करो हालात बदलते देर नहीं लगती।
अहमद पर इन बातों का कोई असर न हुआ।
अगली कक्षा इंग्लिश था संयोग से इंग्लिश वर्ग में भी यही शीर्षक था। मिस आयशा ने भी सबसे बारी यही सवाल किया। सभी बच्चों ने वही जवाब दिया। अहमद का जवाब सुनकर मिस को बड़ा आश्चर्य हुआ। मिस ने अहमद को समझाया लेकिन अहमद का मूड खराब था इसलिए उसने मिस बदतमीजी की वह अहमद को हेडमास्टर के पास ले गई। लेकिन अहमद ने प्रधानाध्यापक से भी बदतमीजी की और स्कूल से चला गया घर जाते ही कंप्यूटर पर गेम खेलने लगा।
दिन बीतते गए अब वह बीस साल का था आवारा लड़कों के साथ समय बिताया और रात को वापस आता उसके पिता समझते कि वह पढ़ कर थक गया है वह सच्चाई से बेखबर थे उनका इकलौता बेटा क्या गुल खिला रहा है अपना समय कैसे से बर्बाद कर रहा है।
एक दिन अहमद के घर एक आदमी आया और उसने बताया कि उसके पापा के कारखाने में आग लग गई है और वह आग मजाक मजाक में अपने आवारा दोस्तों ने लगाई है।
अब वह समय भी आ गया पिता येन दुनिया से चले गए। इस पर जैसे क़यामत टूट पड़ी माता पिता की मृत्यु के बाद अब वह अकेला रह गया जब उसे पता चला कि यह घर किसी और का है और अबू कई उधार थे। यह सुनते ही वह बेहोश हो गया।
अब वह समय भी आ गया पिता येन दुनिया से चले गए। इस पर जैसे क़यामत टूट पड़ी माता पिता की मृत्यु के बाद अब वह अकेला रह गया जब उसे पता चला कि यह घर किसी और का है और अबू कई उधार थे। यह सुनते ही वह बेहोश हो गया।
अब वह गलियों में मारा मारा फिरता है, उसके सिर पर माता पिता का साया न धन रही .
Ab Woh sadakon maara maara kyon phirata hai?
Ahmad ke Abbu shahar ke sab se ameer aadami the, Ahmed ko apne waalid ki doulat par bara naaz tha.
Mamool ki mutabiq subah utha haath munh dho kar nashta kiya aur gaadi me baith kar school pahunch gaya aaj uss ka mood achha na tha.
Urdu ka period shuru hogaya aaj iss ka unwan tha,
"Mai bada ho kar kya banonga"
sir Asad ne shuru kiya ke aap bade ho kar kya banoge?
kisi ne kaha mai bada ho kar Doctor banunga.
kisi ne kaha mein fouj mein jaunga, mai teacher banunga.
Jab Ahmed ki baari aayi to uss ne kaha mujhe kuch bann ne ya naukri ki zaroorat nahi kyun ke hamare paas doulat hi itni hai ke ghar baith kar kha sakein.
sir Asad ne usey samjhaya ke mehnat karo aur apna naam roshan karo, doulat aani jani cheez hai apne papa ki doulat par naaz na karoo halaat bdalte der nahi lagti.
Ahmed par unn baton ka koi assar na hua.
Agli class english ki thi ittafaq se english ki class mein bhi yahi unwan tha. miss Ayesha ne bhi sab se baari baari yahi sawal kiya. sab bachon ne wohi jawab diya. Ahmed ka jawab sun kar miss ko badi herat hui. miss ne Ahmed ko samjhaya lekin Ahmed ka mood kharab tha is liye uss ne miss se badtameezi ki woh Ahmed ko head master ke paas le gayi. lekin Ahmed ne head master se bhi badtameezi ki aur school se chala gaya ghar jate hi computer par game khailne laga .
Din guzarte gaye ab woh bees saal ka tha aawara ladkoon ke saath waqt guzarta aur raat ko wapas aata uss ke waalid samajte ke woh padh kar thak gaya hai woh haqeeqat se be khabar the unn ka aklotaa beta kya Gul khula raha hai apna waqt kis terhan se zaya kar raha hai.
Ek din Ahmed ke ghar ek aadmi aaya aur is ne bataya ke uss ke papa ki factory mein aag lag gayi hai aur woh aag mazaq mazaq mein tumahre aawar doston ne lagai hai.
Ab woh waqt bhi agaya waalid iss duniya se chal base. Uss par jaise qayamat toot padi walidain ki wafaat ke baad ab woh akela rah gaya. jab usko pata chala ke yeh ghar kisi aur ka hai aur uss ke abbu par bohat se qarze the yeh sunte hi woh behosh hogaya.
Ab woh galiyo mein mara mara phirta hai, uss ke sarr par walidain ka saya na doulat rahi.
اب وہ گلیوں میں مارا مارا کیوں پھرتا ہے؟ احمد کے والد شہر کے امیر ترین آدمی تھے احمد کو اپنے والد کی دولت پر بڑا ناز تھا ۔ معمول کی مطابق صبح اٹھا ہاتھ منہ دھو کر ناشتہ کیا اور گاڑی میں بیٹھ کر سکول پہنچ گیا آج اس کا موڈ اچھا نہ تھا ۔ اردو کا پیریڈ شروع ہوگیا آج اس کا عنوان تھا
”میں بڑا ہو کر کیا بنوں گا“
سر اسد نے شروع کیا کہ آپ بڑے ہو کر کیا بنو گے ۔؟
کسی نے کہا میں بڑا ہو کر ڈاکٹر بنوں گا ۔ کسی نے کہا میں فوج میں جاﺅں ، میں ٹیچر بنو ں گا ۔
جب احمد کی باری آئی تو اس نے کہا مجھے کچھ بننے یا نوکری کی ضرورت نہیں کیونکہ ہمارے پاس دولت ہی اتنی ہے کہ گھر بیٹھ کر کھا سکیں ۔
سر اسد نے اسے سمجھایا کہ محنت کرو اور اپنا نام روشن کرو ، دولت آنی جانی چیز ہے اپنے پاپا کی دولت پر ناز نہ کروں حالات بدلتے دیر نہیں لگتی۔
احمد پر ان باتوں کا کوئی اثر نہ ہوا ۔
اگلی کلاس انگلش کی تھی اتفاق سے انگلش کی کلاس میں بھی یہی عنوان تھا ۔ مس عائشہ نے بھی سب سے باری باری یہی سوال کیا ۔ سب بچوں نے وہی جواب دیا ۔ احمد کا جواب سن کر مس کو بڑی حیرت ہوئی ۔ مس نے احمد کو سمجھایا لیکن احمد کا موڈ خراب تھا اس لئے اس نے مس سے بدتمیزی کی وہ احمد کو ہیڈ ماسٹر کے پاس لے گئی ۔ لیکن احمد نے ہیڈ ماسٹر سے بھی بدتمیزی کی اور اسکول سے چلا گیا گھر جاتے ہی کمپیوٹر پر گیم کھیلنے لگا ۔
دن گزرتے گئے اب وہ بیس سال کا تھا آوارہ لڑکوں کے ساتھ وقت گزارتا اور رات کو واپس آتا اس کے والد سمجھتے کہ وہ پڑھ کر تھک گیا ہے وہ حقیقت سے بے خبر تھے ان کا اکلوتا بیٹا کیا گل کھلا رہا ہے اپنا وقت کس طرح سے ضائع کررہا ہے ۔
ایک دن احمد کے گھر ایک آدمی آیا اور اس نے بتایا کہ اس کے پاپا کی فیکٹری میں آگ لگ گئی ہے اور وہ آگ مذاق مذاق میں تمہارے آوار دوستوں نے لگائی ہے ۔
اب وہ وقت بھی آگیا والد ین دُنیا سے کوچ کر گئے ۔ اس پر جیسے قیامت ٹوٹ پڑی والدین کی وفات کے بعد اب وہ اکیلارہ گیا جب اس کو پتہ چلا کہ یہ گھر کسی اور کا ہے اور اس کے ابو پر بہت سے قرضے تھے یہ سنتے ہی وہ بے ہوش ہوگیا ۔
اب وہ گلیوں میں مارا مارا پھرتا ہے، اس کے سر پر والدین کا سایہ نہ دولت رہی ۔