♦ हमें पर्दे के शिक्षा देने वाले अपनी नजरें झुका क्यों नहीं लेते? HUME PARDE KI NASEEHAT KARNE WALE APNI NAZRON KO JHUKA KYUN NAHI LETE ? (Hindi + Urdu)

शर्ट यह सातवां वर्ष था, सोचा अब तो नई ले ही लेनी चाहिए। वैसे भी कल विश्वविद्यालय में पहला दिन है। बड़ी मुश्किल से "शादी फंड " से 500 रुपये निकाले और जी कडा करके बाजार
की ओर रवाना हुआ।
पुरानी बाइक को दूर ही पार्क किया और पैदल "शाहराए हसन व मस्ती" के प्रकाश रंग से हो लिया।
अब कुछ ही कदम चला था कि सामने से एक स्त्री स्लिव लेस् टी शर्ट और स्किन टाइट जींस में, खुले बालों को एक झटके से सहलाया, प्रकट हुई।
अभी कल ही एक "नेक परविन" सुपर मॉडल कि ट्वीट पढ़ी थी कि,
"गंध तो पुरुषों की नजर में होता है। हमें पर्दे के शिक्षण देने वाले अपनी नजरें झुका क्यों नहीं लेते?"
मैं अभी इस "गोलड्न बातों" का पालन किया और नजरें झुका लीं।
पर यह क्या .. !!!
अब सामने खड़ी विंडो शॉपिंग करती एक बीबी के सौंदर्य से ताजा ताजा "पीडी क्यूरी" हुए, आँखें चुधिया देने वाली लाल नेल पॉलिश से सुंदर, ऊँची एड़ी और स्ट्रिप्स् वाले "स्टाइल" जूतों से झांकते गोरे पैरों और पाज़ेब से सजे नंगे टखने थे ... !!!
मैं तुरंत "ला हौला वला कुवता इल्ला बिल्लाह"
(لا حول و لا قوۃ الا باللہ)
पढ के नज़रों को दाईं ओर मोड़ दिया, कि लक्ष्य तो नज़र हटाना है, न कि मात्र निची करना।
अब संयोग से इस ओर स्त्री अंडरवियर का एक बड़ा सा स्टोर था। प्रदर्शन पर कई एक जिमज़ पर कई वैराइटी के "नाईटीज़" और "बिकनीज़" के अलावा प्रसिद्ध फिरंगी हसीनाओं की "गरीबी" के दर्शन करवाते पोस्टर थे जो हर गुजरने वाले की तौबा तुड़वा रहे थे।
मैं सुबह ही तो आखिरत् पर बयान सुना था तो मैं तुरंत "अशतग्फेरूल्लाह"" ( استغفراللہ ) कहकर सड़क पार कर दूसरी ओर चला गया।
अब रुख सीधा किया ही था कि सामने से एक जवान कोपल् हाथों में हाथ डाले, दुनिया और माफिया से अनजान, एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले मुझे टकराते टकराते बचा। उनसे नजर हटाई तो आगे से छह सात कॉलेज स्टूडेंट्स का समूह आता दिखाई दिया। लड़के लड़कियों बेतकल्लुफी और बेपरवाई से एक साथ अठखेलयाँ करते हुए, ठहाके लगाते चले आ रहे थे। दूर से लेकिन बिल्कुल पता नहीं लगता था कि लड़का कौन है और लड़की कौन सी ... !!!
इन पे दो अक्षर भेजकर शर्ट वाली दुकान में प्रवेश किया तो इतनी सारी लड़कियों को देखकर एक बार तो चौंका कि कहीं किसी गलत दुकान में तो नहीं घुस आया। बाहर निकल कर फिर से तसल्ली की कि जेन्टस् स्टोर ही है ना। पता लगा कि आगे वेलेंटाइन डे आ रहा है और सब बीबियां अपने "भाइयों" के लिये गिफट्स खरीद रही हैं ... !!!
अगले दिन विश्वविद्यालय गया तो मन ही चकरा गया। या इलाही ये दर्सगाह है या कैट वॉक के रैंप जहां एक से एक मॉडल, कपड़े से आजादी भिन्न प्रकार के तरीके से सुसज्जित नजर आ रही थी। अब फिर इसी परेशानी का सामना था कि बंदा नजरें हटाए भी तो कहां जमाए .. !!!
पेड़ के नीचे, स्तंभ के पीछे, लाइब्रेरी के नीचे, कैफे में, गलियारे में, यहां तक ​​कि लेक्चर थिएटर में भी लड़के लड़कियों किसी फिल्म की शूटिंग करते देखा है ... !!!
अब तक मेरी "सहन" जवाब दे चुकी थी। घर पहुंचा और सीधा अम्मी को जा कह दिया कि,
"बस अम्मा बहुत हो गया, अब मेरी शादी कर दे।"
अम्मा ने सिर पर एक चपत लगाई और बोलीं, "चल हट बेशर्म। अब तेरी उम्र ही क्या है। पहले कुछ बन के तो दिखा ....."
और मुझे लगा कि अम्मा भी सारी लड़कियों के साथ मिलकर मेरे खिलाफ साजिश में भागीदार है ... !!!

You May Like : MAYEEIN DAWAYI SE KAB THEEK HOTI HAl







شرٹ کو یہ ساتواں سال تھا، سوچا اب تو نئی لے ہی لینی چاہیئے. ویسے بھی کل یونیورسٹی میں پہلا دن ہے. بڑی مشکل سے "شادی فنڈ" سے 500 روپے نکالے اور جی کڑا کر کے بازار کی جانب روانہ ہوا. پرانی بائیک کو دور ہی پارک کیا اور پیدل "شاہرائے حسن و مستی" کی روشن رنگینی کی طرف ہو لیا. ابھی چند ہی قدم چلا تھا کہ سامنے سے ایک دوشیزہ سلیو لیس ٹی شرٹ اور سکن ٹائیٹ جینز میں، کھلے بالوں کو ایک جھٹکے سے سہلاتی، نمودار ہوئی. ابھی کل ہی ایک "نیک پروین" سپر ماڈل کی ٹویٹ پڑھی تھی کہ، "گند تو مرد کی نظر میں ہوتا ہے. ہمیں پردے کا درس دینے والے اپنی نظریں جھکا کیوں نہیں لیتے؟" میں نے فوراً اس "قول زریں" پر عمل کیا اور نظریں جھکا لیں.

پر یہ کیا..!!! اب سامنے کھڑی ونڈو شاپنگ کرتی ایک بی بی کے خوبصورتی سے تازہ تازہ "پیڈی کیور" ہوئے، آنکھوں کو چندھیا دینے والی سرخ نیل پالش سے مزین، ہائی ہیل اور سٹریپس والے "سٹائیلو" جوتوں سے جھانکتے گورے پاؤں اور پاذیب سے سجے برہنہ ٹخنے تھے...!!! میں نے فوراً "لا حول و لا قوۃ الا باللہ" پڑھ کے نظروں کو دائیں جانب موڑ دیا، کہ مقصد تو نظر ہٹانا ہے، نہ کہ محض جھکانا.

اب اتفاقاً اس جانب زنانہ زیر جاموں کا ایک بڑا سا سٹور تھا. ڈسپلے پر کئی ایک ذمیز پر انواع و اقسام کی "نائیٹیز" اور "بکنیز" کے علاوہ مشہور فرنگی حسیناؤں کی "غربت" کا دیدار کرواتے پوسٹر تھے جو ہر گزرنے والے کی توبہ تڑوا رہے تھے. میں نے صبح ہی تو  آخرت پر بیان سنا تھا لہذا میں فوراً "استغفراللہ" کہہ کر سڑک پار کر کے دوسری جانب چلا گیا.

ابھی رخ سیدھا کیا ہی تھا کہ سامنے سے ایک جوان کپل ہاتھوں میں ہاتھ ڈالے، دنیا و مافیہا سے بے خبر، ایک دوسرے کی آنکھوں میں آنکھیں ڈالے مجھ سے ٹکراتے ٹکراتے بچا.

ان سے نظر ہٹائی تو آگے سے چھ سات کالج سٹوڈنٹس کا گروپ آتا دکھائی دیا. لڑکے لڑکیاں بے تکلفی اور بے پروائی سے ایک دوسرے کے ساتھ اٹھکھیلیاں کرتے، قہقہے لگاتے چلے آ رہے تھے. دور سے البتہ بالکل پتہ نہ لگتا تھا کہ لڑکا کونسا ہے اور لڑکی کون سی...!!!

ان پہ دو حرف بھیج کر شرٹ والی دکان میں داخل ہوا تو یکدم اتنی ساری لڑکیوں کو دیکھ کر ایک دفعہ تو چونکا کہ کہیں کسی غلط دکان میں تو نہیں گھس آیا. باہر نکل کر دوبارہ تسلی کی کہ خالصتاً مردانہ کپڑوں کی ہی دکان ہے ناں. پتہ لگا کہ آگے ویلنٹائن ڈے آ رہا ہے اور سب بیبیاں اپنے "بھائیوں" کیلیئے گفٹس خرید رہی ہیں...!!!

اگلے روز یونیورسٹی گیا تو دماغ ہی چکرا گیا. یا الہی یہ درسگاہ ہے یا کیٹ واک کا ریمپ جہاں ایک سے ایک ماڈل، لباس سے آزادی کے انواع و اقسام کے طریقوں سے لیس نظر آ رہی تھی. اب پھر اسی مصیبت کا سامنا تھا کہ بندہ نظریں ہٹائے بھی تو کہاں جمائے..!!! درخت کے نیچے، ستون کے ہیچھے، لائیبریری کے نیچے، کیفے میں، راہداری میں، حتی کہ لکچر تھیٹر میں بھی لڑکے لڑکیاں کسی فلم کی شوٹنگ کرتے محسوس ہوئے...!!!

اب تک میری "برداشت" جواب دے چکی تھی. گھر پہنچا اور سیدھا امی کو جا کہہ دیا کہ، "بس اماں بہت ہو گئی، اب میری شادی کر دے."
اماں نے سر پر ایک چپت لگائی اور بولیں، "چل ہٹ بے شرم. ابھی تیری عمر ہی کیا ہے. پہلے کچھ بن کے تو دکھا....."

اور مجھے لگا کہ اماں بھی ساری لڑکیوں کے ساتھ ملکر میرے خلاف سازش میں شریک ہے...!!!

RECENT STORIES

♦ QARZ ADA HOGAYI (SAHI BUKHARI SE MAKHOZ EK DILCHASP WAQIYA)

Rasoolallah Sallallaho Alaihe Wasallam ne bani Israel ke ek shakhs ka zikar farmaya ke unhon ne bani Israel ke ek dosray aadmi se ...